पुस्तकालय मंे स्वचालन की भूमिका एवं महत्व

 

सेतकुमार मल्होत्रा1, अषोक कुमार2

1ग्रंथपाल, रामचण्डी महाविद्यालय सरायपाली, जिला - महासमुन्द (..)

2ग्रंथपाल, प्रतिभा कॉलेज ऑफ एजूकेषन सरायपाली, जिलामहासमुन्द

*Corresponding Author E-mail:

 

ABSTRACT:

शैक्षणिक संस्थाओं में पुस्तकालय का महत्व उसी प्रकार है जिस प्रकार शरीर में हृदय् का होता है। इसलिए आवष्यकता इस बात का है कि विभिन्न सभी प्रकार के पुस्तकालयों को आधुनिक तकनीकी से जोड़ कर इसे मजबूत किया जाये। चुंकि सम्पूर्ण विष्व कम्प्यूटर एवं सूचना तकनीकी के क्रांतिकारी दौर से गुजर रहा है और इन सभी के लिए पुस्तकालय एक आत्मा के रूप में कार्य करता है। अतः पुस्तकालय में कम्प्यूटर का प्रयोग कर स्वचालन करना एक प्रकार की अनिवार्यता बन चुका है। आधुनिक समाज सूचना क्रान्ति के दौर से गुजर रहा है। सूचनाएँ पिन्ट मिडिया जैसे फोनोग्राफ रिकार्डस फिल्मों की टेपों, माइक्रोफोर्म्स, रेडियों, टीवी, फैक्स मोबाइल फोन इंटरनेट, मेल ऑडियो कॉन्फ्रेसिंग आदि में उपलब्ध है। ंतथा वर्तमान समय में उपयोगकर्ताओं को विषिष्ट विषय में विस्तृत सूचनाएँ को सटीक, तीव्र कम से कम समय मंे उपलब्ध कराने की आवष्यकता है। विषाल सूचनाओं को हस्तचलित और परम्परागत प्रणाली से व्यस्थित करने में अत्यधिक समय लगता है। अतः उपभोक्ताओं को कुषल और समयबध्द सेवाएं प्रदान करने के लिए पुस्तकालयों को स्वचालित करने की तत्काल आवष्यकता है। इसी को देखते हुए पुस्तकालय मंे स्वचालन शब्द की उत्पत्ति हुआ है।

 

KEYWORDS: सूचना प्रौघोगिकी स्वचालन, अधिग्रहण, प्रसुचीकरण परिचालन, सीरियल पर नियंत्रण प्रतिवेदन

 


 


प्रस्तावना -

स्वचालन शब्द, जिसका अंग्रेजी पर्याय ऑटोमेषन होता है, की उत्पत्ति ग्रीक शब्द ऑटोमोंस (।नजवउवदे) से हुई है जिसका अर्थ ऐसी शक्ति से होता है, जिसमें स्वयं गति हो अथवा स्वचालित हो। इस शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग डी. एस. हार्डर महोदय ने वर्ष 1936 में किया था पुस्तकालय स्वचालन से तात्पर्य है पुस्तकालय की परंपरागत गतिविधियों जैसे अधिग्रहण, प्रसुचीकरण, परिचालन, सिरियल नियंत्रण आदि का मषीनीकरण करना। दुसरे षब्द में ग्रंथालय स्वचालन का अर्थ कम्प्यूटर और अन्य प्रौद्योगिकियों का उपयोग करके पुस्तकालयांे के कार्यों में मानव का कम से कम हस्तक्षेप करना। पुस्तकालय स्वचालन से कार्य में सरलता, परिषुध्दता, त्वरित सेवा, त्वरित डेटा प्रक्रियाकरण के अलावा श्रम, धन, एवं समय की बचत होती है।

 

डी. एस. हार्डर के अनुसार ष्जीम ।नजवउंजपब ींदकसपदह िच्ंतजष्े इमजूममद कपििमतमदज ेजंहमे िजीम चतवकनबजपवद चतवबमेेश्

 

अध्ययन के उद्देष्य:-

(1) आधुनिक समाज में पुस्तकालय में कम्प्यूटर के प्रभाव का वर्णन करना।

(2) पुस्तकालय स्वचालन की आवष्यकता एवं महत्व का वर्णन करना।

(3) पुस्तकालय स्वचालन के प्रयोग के विभिन्न क्षेत्रों पर चर्चा करना।

(4) स्वचालित पुस्तकालय की मुख्य विषेषताओं की व्याख्या करना।

(5) स्वचालित पुस्तकालय से होने वाले लाभांे के बारे में वर्णन करना।

            

पुस्तकालय स्वचालन की आवष्यकता:-

(1) साहित्य विस्फोट और सूचनाओं की अधिकता।

(2) अधिक मात्रा में आँकड़ों और सूचनाओं को संभालना।

(3) सूचना और इसकी पुनः प्राप्ति की प्रक्रिया की तेजी।

(4) सूचना की खोज में लचीलापन।

(5) राष्ट्रीय अन्तर्राष्ट्रीय विषिष्ट डेटावेसांे की खोज।

(6) वर्तमान सेवाआंे में सुधार

(7) कार्य की दक्षता एवं गति को बढ़ाना।

(8) नेटवर्कों, संसाधन सहभागिता इन्टरनेट का प्रयोग।

 

पुस्तकालय स्वचालन के अनुप्रयोग के क्षेत्र:-

हस्तचलित पारंपरिक पुस्तकालय के कार्य जैसे अधिग्रहण, तकनीकी प्रक्रिया, परिचालन सीरियल्स नियंत्रण, देय-आदेय और संदर्भ सेवाएँ काफी समय लेती है। हालांकि ये सभी गतिविधियाँ पुस्तकालय के कार्य करने के लिए अनिवार्य है, ये व्यावसायिक कर्मचारियों का काफी समय नष्ट करती है तथा हस्तचलित कार्य में विभिन्न गतिविधियों की पुनरावृत्ति हो जाती है। इस प्रकार स्वचालन का उद्देश्य इन गतिविधियों को एकीकृत करके कार्य की पुनरावृत्ति को रोकना है। एकिकृत पुस्तकालय प्रबंधन सॉफटवेयर पैकेज में उपलब्ध है जो पुस्तकालय स्वचालन में प्रयोग किया जा सकते है।

 

() अधिग्रहण:-

पुस्तकालय के अधिग्रहण प्रभाग में पाठय सामग्री (पुस्तकें इलेक्ट्रानिक, समाग्री, पत्र - पत्रिकाएँ, नक्षे, चार्ट इत्यादि) प्राप्त किये जाते है।

 

अधिग्रहण प्रभाग के कार्य

(1) प्रलेखों का चयन

(2) प्रलेखों के क्रयदेष बनाना

(3) बिलों की प्राप्ति एवं उनका मिलान

(4) परिग्रहण संख्या प्रदान करना। 

 

() प्रसुचीकरण:-

पुस्तकालय में ग्रंथ प्राप्ति के बाद में उसे परिग्रहण संख्या प्रदान करने के पश्चात उनका वर्गीकरण एवं प्रसुचीकरण करके उन्हें तैयार किया जाता है। प्रसुचीकरण पुस्तकालय मंे संग्रहों की खिड़कियाँ होती हे जिनके स्वचालन का प्रभाव उनकी सेवाओं की गुणवत्ता पर लम्बंे समय तक पड़ता है। हस्तचलित वातारण में व्यावसायिकों का मुल्यवान सयम प्रसुचीपत्रक तैयार करने छांटने में और उन्हें पंक्तिबध्द रखने में खर्च हो जाता है। जबकि स्वचलित प्रणाली में, एक बार प्रासंगिक आंकड़ों को तैयार करके कम्प्यूटर में उपलब्ध करा दिया जाता है। जिससे मानक प्रारूप में प्रसुची तैयार की जा सकती है।

 

() परिचालन:-

परिचालन अनुभाग में उपभोक्ताओं और कर्मचारियों के बीच सीधा संपर्क होता है। और इसलिए कुषल और त्वरित सेवाओं की आवष्यकता होती है। परिचालन डेस्क में लेन देन विवरण जैसे निर्गम, वापसी, पुनः देय आरक्षित, ओवरड्यु आदि समय नष्ट करने वाले थकाऊ और त्रुटि की संभावना से भरे होते हैं। जबकि स्वचालन से पुस्तकालय को लाभ होता है। बारकोड सुविधाओं से परिचालन गतिविधियों में गति, दक्षता सुधार के साथ - साथ समय की भी बचत होती है।

 

परिचालन प्रभाग के कार्य:-

प्रलेखों का निर्गम

प्रलेखों का वापसी

प्रलेखों का नवीनीकरण

प्रलेखों की ऋण अवधि

प्रलेखों पर नियंत्रण

उपभोक्ताओं को सूचना संदेष देना

 

() पत्रिका नियंत्रण:-

पत्रिकाओं का नियंत्रण एक जटिल प्रक्रिया है जिसमें बड़ी संख्या में प्रकाषनों उनके खर्चों का रखरखाव किया जाता है। इसके अतिरिक्त, पत्रिका नियंत्रण विभाग में रसीदों अनुस्मारक, पत्रिका वापिस मिलने का दावा, अवधि परिवर्तन, आदि की समस्याओं का मानवीय रूप से क्रियान्वित करना पड़ता था। स्वचालन के आने से अधिकांष कार्य सरल कुषलता से पूरे किए जा सकते हैं।

 

पत्रिका नियंत्रण विभाग के कार्य:-

पत्रिकाओं का शुल्क

- पत्रिकाओं और डेटावेस की सदस्यता

सदस्यता /पत्रिका शुल्क का नवीनीकरण

गुम हुये अंकांे का दावा करना

पत्रिकाओं का प्रतिस्थापन

 

() प्रतिवेदन:-

एकीकृत पुस्तकालय प्रबंधन प्रणाली का इस प्रकार प्रबंधन किया जाना चाहिए कि जिससे उपभोक्ताओं को अत्यधिक लाभ हो, सुरक्षा के समुचित उपाय हो एवं समय पर पुस्तकालय सामग्री प्राप्त हो सके।

 

प्रतिवेदन प्रभाग के कार्य:-

पुस्तकालय गतिविधियों से संबंधित प्रतिवेदन और सांख्यिकी आँकड़े।

सांख्यकिय सूचना विष्लेषण के उपकरण

उपभोक्ताओं, प्रकाषकों और आपूर्तिकर्ताओं की सुची का रख रखाव।

स्टॉक की जाँच का प्रतिवेदन तैयार करना इत्यादि।

 

पुस्तकालय के स्वचालन लागु करने के निम्न लाभ होते है:-

(1) कार्य में सरलता:-

बड़े-बड़े कार्य जिन्हें करने में कर्मचारियों को अधिक समय तक लगाना पड़ता था वे स्वचालन की सहायता से सरलता से किये जा सकते हैं।

(2) कार्य में परिषुध्दता:-

मानव यदि कोई कार्य करता है तो उसमें गलतियाँ होना स्वाभाविक है, लेकिन स्वचालन में गलती होने की कोई सम्भावना नहीं होती है।

 

(3) त्वरित सेवा:- 

पुस्तकालय में अनेक कार्य होते हैं जिन्हें मानव द्वारा करने में अत्यधिक समय लगता है। जैसे - संग्रह का सत्यापन, गं्रथसुची का संकलन आदि स्वचालन विधियों का उपयोग करके इन सभी साध्य असाध्य कार्यों को त्वरित गति से निपटाया जा सकता है।

 

(4) उत्तम सेवा:-

पुस्तकालय में स्वाचालन जैसे कि माइक्रोफेमिंग तथा रिप्रोग्राफी आदि तकनीकियों के द्वारा पहले की अपेक्षा उत्तम सेवा प्रदान की जाती है। इसके साथ ही स्वचालित अनुक्रमणिकाकारण शीघ्र खोज प्रक्रिया तथा किसी मांगी गई सूचना तक शीघ्र पहुँचा जा सकता है।

 

(5) त्वरित डेटा प्रक्रियाकरण:-

यदि डेटाओं का प्रक्रियाकरण कार्य मानव द्वारा किया जाय तो उसमें अत्यधिक समय लेता है परन्तु इलैक्ट्रानिक डेटा प्रोसैसिंग प्रणाली के द्वारा डेटाओं का प्रक्रियाकरण कार्य शीघ्रता से किया जा सकता है।

 

 

श्रम एवं समय की बचत:-     

स्वचालित उपकरणों की सहायता से पुस्तकालय सम्बन्धी कार्य आसानी से किये जाते है जिससे आर्थिक रूप से धन की बचत तो होती ही है साथ ही मानवीय श्रम भी कम करना पड़ता है।

 

निष्कर्ष:-

इस प्रकार हम संक्षेप में कह सकते है कि परम्परागत पुस्तकालय में अनेक तरह की समस्याऐं उत्पन्न होती है। जिसके अन्तर्गत सूचना को एकत्र करने की तथा उसी सूचना को संगठित करने में तथा साथ ही साथ संगठित सूचना को वितरित करने में जैसे सूचना प्रणाली आदि में समस्या आती है। तथा इसमें पुस्तकालय कर्मचारी का बहुत समय नष्ट हो जाता है। सूचना प्रौद्योगिकी के प्रयोग के कारण सूचना प्रणाली द्वारा सूचना को एकत्र करने में तथा उसे संगठित कर वितरित करने में आसानी होती हैं उसी प्रकार ग्रंथालय का स्वाचालन करके पुस्तकालय के कार्य जैसे अधिग्रहण, सुचीकरण परिचालन पत्र-पत्रिका नियंत्रण देय-अदेय, प्रतिवेदन आदि गतिविधियाँ को आसानी से सम्पन्न कराया जा सकता है।

 

संदर्भग्रंथ सूची:-

1.      लाल. सी., ग्रंथालय एवं आधुनिक प्रौद्योगिकी, एस.एल. पब्लिकेषन, नई दिल्ली.

2.      शर्मा प्रहल्लाद, इंटरनेट और पुस्तकालय, ज्योति पब्लिकेषन, जयपुर

3.      सिंह निरंजन एवं सिंह कल्पना, ग्रंथालय नेटवर्क, ग्रंथालय विज्ञान, 38.1-2 (2007) प्रिंट 

4.      www.ignou.ac.in

5.      www.nios.ac.in

6.      Sinha. A.K., computer application to library & information system

 

 

Received on 22.03.2022        Modified on 16.04.2022

Accepted on 10.05.2022        © A&V Publication all right reserved

Int. J. Ad. Social Sciences. 2022; 10(2):65-68.